बॉलीवुड के मशहूर एक्टर और कॉमेडियन कादर खान (Kader Khan) की आज (31 दिसंबर) डेथ एनिवर्सरी है। आज ही के दिन 81 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था। कादर खान ने कनाडा के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली थी। उनको सांस लेने में दिक्कत होने के बाद वेंटीलेटर पर रखा गया था। कई सुपरहिट फिल्मों में काम कर चुके कादर खान की हालत जिंदगी के आखिरी वक्त में बेहद खराब हो गई थी। यहां तक कि उन्हें पहचानना भी मुश्किल होता था। अंतिम दिनों में कादर खान न तो ठीक से बोल पाते थे और ना ही वो लोगों को पहचान पाते थे। आखिरी बार इस फिल्म में दिखे थे कादर खान..

Kader Khan Death Anniversary, his Last wish remained unfulfilled Because of Amitabh Bachchan kpg

22 अक्टूबर, 1937 को कादर खान (Kader Khan) का जन्म अफगानिस्तान (Afghanistan) की राजधानी काबुल (Kabul) की एक पठान फैमिली में हुआ था। उन्होंने 1973 में आई फिल्म ‘दाग’ से एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी। हालांकि, कादर खान का काबुल से मुंबई तक पहुंचने का सफर इतना आसान भी नहीं था। बचपन से ही उन्हें और उनके परिवार को कई मुसीबतें झेलनी पड़ी थीं।

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अंतिम दिनों में कादर खान की याद्दाश्त भी चली गई थी। पहले वो व्हील चेयर पर किसी तरह अपनी जिंदगी काटते रहे, लेकिन बाद में उन्होंने फिल्मों से पूरी तर दूरी बना ली। कादर खान आखिरी बार 2015 में आई फिल्म ‘दिमाग का दही’ में नजर आए थे।

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कादर खान (Kader Khan) बचपन में रात के वक्त कब्रिस्तान जाया करते थे। मुंबई में कादर खान रोज रात को अपने घर के पास वाले कब्रिस्तान जाते थे और वहां जाकर रियाज करते थे। ऐसे ही एक दिन वे वहां रियाज कर रहे थे तभी अचानक एक टॉर्च की लाइट उनके चेहरे पर आई। टॉर्च की रोशनी करने वाले आदमी ने कादर खान से पूछा कब्रिस्तान में क्या कर रहे हो।

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जवाब में कादर खान (Kader Khan) ने कहा- रियाज कर रहा हूं। मैं दिनभर में जो कुछ भी अच्छा पढ़ता हूं, रात में उसका यहां आकर रियाज करता हूं। कादर खान की बात सुनकर वो शख्स बेहद प्रभावित हुआ और उन्हें नाटकों में काम करने की सलाह दी। इसके बाद कादर खान ने नाटकों में काम करना शुरू कर दिया। उस टॉर्च वाले शख्स का नाम अशरफ खान था।

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कादर खान (Kader Khan) ने जब साल 1977 में फिल्म ‘मुकद्दर का सिकंदर’ फिल्म लिखी तो ये वाकया उस फिल्म का एक अहम सीन बना था। फिल्म में जब बच्चा कब्रिस्तान में जा कर रोता है तभी उसकी मुलाकात एक फकीर से होती है। हालांकि, ये बात बाद में कादर खान के एक इंटरव्यू से पता लगी कि ये किस्सा उनके अपनी जिंदगी से जुड़ा हुआ था।

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रिपोर्ट्स की मानें तो कादर खान (Kader Khan) ने प्लानिंग की थी कि वे अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म बनाएंगे। लेकिन फिल्म ‘कुली’ (1982) के सेट पर अमिताभ बुरी तरह घायल हो गए। वे कई महीने अस्पताल में रहे। इस बीच कादर भी दूसरे प्रोजेक्ट्स में बिजी हो गए और फिल्म ‘जाहिल’ बनाने का प्लान ठंडे बस्ते में चला गया।

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बाद में जब अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ठीक हुए, तब एक बार फिर कादर खान के मन में अपनी ख्वाहिश पूरी करने की इच्छा हुई। लेकिन तब अमिताभ ने पॉलिटिक्स में आने का फैसला कर लिया और कादर खान की फिल्म नहीं बन सकी। राजनीति में आने की वजह से कादर खान और अमिताभ बच्चन के रिश्ते में दरार भी आ गई थी।

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कादर खान (Kader Khan) ने अपने करियर की शुरुआत 1972 में आई फिल्म ‘दाग’ से की थी। इसके अलावा उन्होंने ‘अदालत’ (1976), ‘परवरिश’ (1977), ‘दो और दो पांच’ (1980), ‘याराना’ (1981), ‘खून का कर्ज’ (1991), ‘दिल ही तो है’ (1992), ‘कुली नं. 1’ (1995), ‘तेरा जादू चल गया’ (2000), ‘किल दिल’ (2014) सहित कई फिल्मों में काम किया है। वे आखिरी बार 2015 में आई फिल्म ‘हो गया दिमाग का दही’ में नजर आए थे।

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