अफगानिस्तान पर कब्जा करते ही तालिबान ने यहां की तस्वीर को एक बार फिर पूरी तरह बदल दिया है.

इस बार का शासन 1990 के दशक से थोड़ा अलग है. इस बार लड़कियों और महिलाओं को पढ़ाई और कामकाज की छूट दी गई है (Taliban Against Education). लेकिन तालिबान जितनी खुली सोच दिखाने की कोशिश कैमरे के सामने कर रहा है, वास्तव में वैसा नहीं है.
अफगानिस्तान पर कब्जा करते ही तालिबान ने यहां की तस्वीर को एक बार फिर पूरी तरह बदल दिया है. इस बार का शासन 1990 के दशक से थोड़ा अलग है. इस बार लड़कियों और महिलाओं को पढ़ाई और कामकाज की छूट दी गई है (Taliban Against Education). लेकिन तालिबान जितनी खुली सोच दिखाने की कोशिश कैमरे के सामने कर रहा है, वास्तव में वैसा नहीं है.

काबुल की इब्न-ए सिना यूनिवर्सिटी (Ibn-e-Sina University) से कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें लड़के और लड़कियां एक ही क्लासरूम में बैठे हैं लेकिन इनके बीच पर्दा लगा हुआ है. पढ़ाई करने आए लड़के पारंपरिक पोषाकों में हैं, जबकि लड़कियों ने बुर्का पहना हुआ है.

काबुल की इब्न-ए सिना यूनिवर्सिटी (Ibn-e-Sina University) से कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें लड़के और लड़कियां एक ही क्लासरूम में बैठे हैं लेकिन इनके बीच पर्दा लगा हुआ है. पढ़ाई करने आए लड़के पारंपरिक पोषाकों में हैं, जबकि लड़कियों ने बुर्का पहना हुआ है.
काबुल की इब्न-ए सिना यूनिवर्सिटी (Ibn-e-Sina University) से कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें लड़के और लड़कियां एक ही क्लासरूम में बैठे हैं लेकिन इनके बीच पर्दा लगा हुआ है. पढ़ाई करने आए लड़के पारंपरिक पोषाकों में हैं, जबकि लड़कियों ने बुर्का पहना हुआ है.

तालिबान के नियमों के अनुसार, देश में रहने वाले पुरुष पश्चिमी सभ्यता की तरह पैंट-शर्ट नहीं पहन सकते हैं. उनके लिए कुर्ता पहनना अनिवार्य है. इसी तरह बु्र्का या अबाया पहनने का नियम महिलाओं पर भी सख्ती से लागू होता है (Educations Related Rules Taliban). इससे पहले रविवार को तालिबान ने बताया था कि विश्वविद्यालों में किस तरह से पढ़ाई होगी.

तालिबान के नियमों के अनुसार, देश में रहने वाले पुरुष पश्चिमी सभ्यता की तरह पैंट-शर्ट नहीं पहन सकते हैं. उनके लिए कुर्ता पहनना अनिवार्य है. इसी तरह बु्र्का या अबाया पहनने का नियम महिलाओं पर भी सख्ती से लागू होता है (Educations Related Rules Taliban). इससे पहले रविवार को तालिबान ने बताया था कि विश्वविद्यालों में किस तरह से पढ़ाई होगी.
तालिबान के नियमों के अनुसार, देश में रहने वाले पुरुष पश्चिमी सभ्यता की तरह पैंट-शर्ट नहीं पहन सकते हैं. उनके लिए कुर्ता पहनना अनिवार्य है. इसी तरह बु्र्का या अबाया पहनने का नियम महिलाओं पर भी सख्ती से लागू होता है (Educations Related Rules Taliban). इससे पहले रविवार को तालिबान ने बताया था कि विश्वविद्यालों में किस तरह से पढ़ाई होगी.

तालिबान ने इसे लेकर एक लंबा दस्तावेज जारी किया और बताया कि महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग बैठना होगा. इनके बीच में पर्दा जरूर लगेगा. जैसा कि अगले दिन (सोमवार) यानी आज से देखा भी जा रहा है. इसके साथ ही ये फैसला लिया गया है कि महिलाओं को महिलाएं ही पढ़ाएंगी (Education Under Taliban). लेकिन अगर वे मौजूद नहीं होती हैं, तो उन्हें अच्छे चरित्र वाले ‘बूढ़े पुरुष’ पढ़ाएंगे.

तालिबान ने इसे लेकर एक लंबा दस्तावेज जारी किया और बताया कि महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग बैठना होगा. इनके बीच में पर्दा जरूर लगेगा. जैसा कि अगले दिन (सोमवार) यानी आज से देखा भी जा रहा है. इसके साथ ही ये फैसला लिया गया है कि महिलाओं को महिलाएं ही पढ़ाएंगी (Education Under Taliban). लेकिन अगर वे मौजूद नहीं होती हैं, तो उन्हें अच्छे चरित्र वाले ‘बूढ़े पुरुष’ पढ़ाएंगे.

तालिबान ने इसे लेकर एक लंबा दस्तावेज जारी किया और बताया कि महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग बैठना होगा. इनके बीच में पर्दा जरूर लगेगा. जैसा कि अगले दिन (सोमवार) यानी आज से देखा भी जा रहा है. इसके साथ ही ये फैसला लिया गया है कि महिलाओं को महिलाएं ही पढ़ाएंगी (Education Under Taliban). लेकिन अगर वे मौजूद नहीं होती हैं, तो उन्हें अच्छे चरित्र वाले 'बूढ़े पुरुष' पढ़ाएंगे.
तालिबान ने छात्राओं के लिए अबाया और नकाब पहनना भी जरूरी कर दिया है. बेशक तालिबान खुद को इस बार सहिष्णु और कम कट्टरपंथी दिखाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसके नियमों को देख ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा (Protests in Afghanistan). इसी वजह से हेरात में बीते दिनों महिलाएं अपने अधिकारों की रक्षा की मांग करते हुए सड़कों पर उतरी थीं.

तालिबान ने छात्राओं के लिए अबाया और नकाब पहनना भी जरूरी कर दिया है. बेशक तालिबान खुद को इस बार सहिष्णु और कम कट्टरपंथी दिखाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसके नियमों को देख ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा (Protests in Afghanistan). इसी वजह से हेरात में बीते दिनों महिलाएं अपने अधिकारों की रक्षा की मांग करते हुए सड़कों पर उतरी थीं.
तालिबान ने छात्राओं के लिए अबाया और नकाब पहनना भी जरूरी कर दिया है. बेशक तालिबान खुद को इस बार सहिष्णु और कम कट्टरपंथी दिखाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसके नियमों को देख ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा (Protests in Afghanistan). इसी वजह से हेरात में बीते दिनों महिलाएं अपने अधिकारों की रक्षा की मांग करते हुए सड़कों पर उतरी थीं.

एक तरफ तालिबान ने महिलाओं से कहा है कि वह काम पर लौट सकती हैं. लेकिन दूसरी तरफ उसने उनके लिए मेहरम भी अनिवार्य कर दिया है. इसका मतलब है ‘पुरुष साथ’. यानी बिना किसी मेहरम (पुरुष साथी) के वो घर से बाहर नहीं निकल सकतीं. लेकिन जो महिलाएं विधवा हैं, जिनका पिता या बेटा नहीं है, वो किसके साथ बाहर जाएंगी. ऐसी महिलाओं के लिए तालिबान ने कहा है कि वह घर पर बैठें.

एक तरफ तालिबान ने महिलाओं से कहा है कि वह काम पर लौट सकती हैं. लेकिन दूसरी तरफ उसने उनके लिए मेहरम भी अनिवार्य कर दिया है. इसका मतलब है ‘पुरुष साथ’. यानी बिना किसी मेहरम (पुरुष साथी) के वो घर से बाहर नहीं निकल सकतीं. लेकिन जो महिलाएं विधवा हैं, जिनका पिता या बेटा नहीं है, वो किसके साथ बाहर जाएंगी. ऐसी महिलाओं के लिए तालिबान ने कहा है कि वह घर पर बैठें.

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