मोहम्मद रफी फिल्म इंडस्ट्री का एक ऐसा नाम जिसे शायद ही कोई भुला पाए. रफी साहब आज भी अपनी रूहानी आवाज के माध्यम से करोड़ों फैंस के दिलों राज कर रहे हैं. रफी साहब इस दुनिया से जाने के बाद भी अपनी आवाज की वजह से आज भी जिंदा हैं.

मोहम्मद रफी साहब ने वर्ष 1946 में फिल्म ‘अनमोल घड़ी’ में ‘तेरा खिलौना टूटा’ से हिन्दी सिनेमा की दुनिया में कदम रखा और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. अमृतसर के कोटला सुल्तान में जन्मे मोहम्मद रफी छः भाई बहनों में दूसरे नंबर पर थे. रूहानी आवाज के मालिक रफी साहब को घर में फीको कहा जाता था.

आपको जानकर हैरानी होगी कि गली में किसी फकीर को गाते सुनकर मोहम्मद रफी ने गाना शुरू किया था. आपको बता दें 13 साल की उम्र में ही रफी की पहली शादी उनके चाचा की बेटी बशीरन बेगम से हुई थी. 20 साल की उम्र में रफी की दूसरी शादी बिलकिस के साथ की थी.

रफी साहब न सिर्फ एक अच्छे गायक बल्कि काफी दयालु इंसान भी थे. दयालु दिल के धनी रफी साहब ने जब अपनी कालोनी में देखा कि एक विधवा बहुत तकलीफ में है, तो उन्होंने किसी फर्जी नाम से पड़ोस की एक विधवा को पैसे भेजना शुरू कर दिया था.

Mohammed Rafi Biography in Hindi | मोहम्मद रफ़ी जीवन परिचय | StarsUnfolded  - हिंदीहिंदी सिनेमा को अनगिनत गाने देने वाले महान गायक मोहम्‍मद रफी जब अपने करियर के शिखर पर थे, तो सिर्फ मौलवियों के कहने पर रफी साहब ने फिल्मों में गाना बंद कर दिया था. दरअसल, रफी साहब हज करने गए थे और मौलवियों का कहना था कि हाजी (हज करने के बाद) होने के बाद गाना बजाना बंद कर देना चाहिए. रफी के मन में भी ये बात बैठ गयी और उन्होंने गाने से दूरी बना ली.

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